हैंड सेनीटाइजर के अधिक इस्तेमाल से एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस का खतरा बढ़ जाता है (हेल्थ एक्सपर्टस की चेतावनी) ।
हैंड सेनीटाइजर |
देश में कोरोनावायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हर दिन हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में मास्क का इस्तेमाल, शारीरिक दूरी का पालन और हाथों की सफाई जैसे एहतियाती कदमों का पालन करना बेहद जरूरी है। लेकिन सतर्कता और एहतियाती कदमों के एवज में लोग हैंड सैनिटाइजर का भी जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की हैंड सैनिटाइजर का अत्यधिक इस्तेमाल भी आपको परेशानी में डाल सकता है और एम्स के डॉक्टरों ने इसको लेकर चेतावनी भी दी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते उपयोग से रोगाणु रोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस) हो सकता है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया है कि हैंड सैनिटाइजर और रोगाणु रोधी (एंटीमाइक्रोबॉयल) साबुन के ज्यादा इस्तेमाल से स्थिति और खराब हो सकती है।
हर साल लाखों लोग होंगे कोरोना वायरस के खतरे में -विशेषण
दरअसल रोगाणु रोधी प्रतिरोध किसी रोगजनक माइक्रोब रोग की क्षमता है जो किसी रोगाणु रोधी दवा के प्रभावों के लिए प्रतिरोध विकसित करता है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया है कि अगर रेजिस्टेंस को ठीक से मैंने नहीं किया गया तो साल 2050 तक लगभग एक करोड़ लोगों की जिंदगी ड्रग रेजिस्टेंस यानी दवाओं के प्रतिरोध के कारण हर साल जोखिम में हो सकती हैं। इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए एम्स और अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी ने संयुक्त रूप से एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर आधारित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में रोगाणु रोगी प्रतिरोध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
वेबीनार का आयोजन एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रोफ़सर और प्रमुख डॉक्टर रामा चौधरी और उनकी टीम ने मिलकर किया था। डॉ चौधरी, भारत में अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी अंतरराष्ट्रीय राजदूत भी हे । डॉचौधरी की टीम में डॉ विमल कुमार दास,डॉक्टर सरिता महापात्रा,डॉक्टर गगनदीप सिंह, डॉ हितेंद्र गौतम और डॉ निशांत वर्मा शामिल थे ।वेबीनार में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बात की कि कैसे कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को झटका दिया है। साथ ही रोगाणुरोधी प्रतिरोध की और स्वस सुविधाओं के फोकस को किस तरह से प्रभावित किया है।
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का पता लगाना जरूरी-
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस जीव अब हमारे वातावरण में कठोर रूप से स्थापित हो गए हैं यही वजह है कि कई संक्रमण ,मौजूदा समय में उपलब्ध एंटीमाइक्रोबॉयल का जवाब देने में विफल हो रहे हैं। रोगाणु रोधी प्रतिरोध ने नए रोगाणु रोज आंखों के विकास को रोक दिया है। ऐसे में तुरंत वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का पता लगाना जरूरी है। इसके तहत बैक्टीरिया फेसेज ,एंडॉलिसीन, नैनो पार्टिकल्स, प्रोबायोटिक्स और एंटीमाइक्रोबियल्स पेप्टाइड्स जैसे गैर- पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा दृष्टिकोण के महत्व की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि और रोगाणु रोधी प्रतिरोध आधुनिक चिकित्सा की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है यह भौगोलिक सीमा और प्रजातियों के अवरोध से भी आगे की समस्या है और रोगाणु रोजी प्रतिरोध जानवरों के जरिए मनुष्य तक पहुंच सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी दीअधिक सेनेटाइजर के प्रयोग न करने की सलाह-
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सैनिटाइजर के ज्यादा इस्तेमाल ना करने को लेकर लोगों को सलाह दी थी करीब 5 महीने पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सुविधाओं के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डॉक्टर आरके वर्मा ने कहा था कि लोगों को हैंड सैनिटाइजर का बहुत अधिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि सैनिटाइजर के ज्यादा इस्तेमाल से हाथों में मौजूद गुड बैक्टीरिया जो तत्वों की सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं उनका भी खात्मा हो जाता है।लिहाजा डॉक्टर वर्मा की यही सलाह है कि हाथों को साफ बनाए रखने के लिए साबुन पानी का इस्तेमाल सैनिटाइजर की तुलना में ज्यादा बेहतर विकल्प है।
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