खांसी (Khansi) का इलाज –
दिन हो या रात बदलते मौसम के साथ खांसी होना आम है। खांसी के कारण न सिर्फ़ दिन का चैन ख़त्म हो जाता है, बल्कि रातों की नींद भी ख़राब हो जाती है। हालांकि, लोग ठीक होने के लिए खांसी की दवा लेते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद खांसी वापस आ जाती है। ऐसे में खांसी का घरेलू इलाज कारगर है। आज इस लेख में हम खांसी के घरेलू इलाज बता रहे हैं, क्योंकि सदियों से चले आ रहे दादी-नानी के घरेलू नुस्खे, बड़ी-बड़ी बीमारियों को ठीक कर देते हैं। आप भी खांसी के उपचार के लिए कुछ घरेलू इलाजों (home remedies for cough in hindi) को अपनाएं।
आप खांसी का घरेलू इलाज जानें, उससे पहले यह जानना ज़रूरी है कि खांसी होने के कारण क्या हैं ? कई लोगों को बार-बार खांसी की परेशानी होने लगती है, जिसका असर उनकी सेहत पर भी पड़ता है।
- एलर्जी (1)
- ट्यूबरक्लोसिस या टीवी
- धूल-मिट्टी, प्रदूषण (1)
- दमा
- श्वसन तंत्र के संक्रमण जैसे – ठंड लगना या निमोनिया
- मौसम का बदलना
- जल्दी-जल्दी खाने होना
- फेफड़ों का कैंसर
- मुंह सूखना
- ब्रोन्किइक्टेसिस
- टॉन्सिल का संक्रमित होना यानी टॉन्सिलाइटिस
- गर्ड (Gastroesophageal reflux disease)
- धूम्रपान करना (1)
- काली खांसी (Pertussis)
- ठंडी चीज़ें जैसे – आइसक्रीम या कोल्डड्रिंक का सेवन
अब समय है खांसी के लक्षणों को जानने का, जिसके बारे में हम नीचे लिख रहे हैं।
खांसी के लक्षण – Symptoms of Cough in Hindi
- गले में ख़राश होना
- गले में दर्द होना
- ठंड लगना
- बुख़ार आना
- सिरदर्द
- थकान होना
- सीने में दर्द होना
- सांस लेने में परेशानी होना
- नाक बंद होना
- उल्टी आना
- नींद न आना
- खाने की इच्छा न होना
- जब खांसी जल्द ठीक हो जाए, तो इसे सामान्य माना जाता है, लेकिन अगर यही खांसी ज़्यादा दिनों तक रहती है तो यह चिंता का कारण हो सकता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि समय रहते आप खांसी के प्रकार की पहचान कर खांसी का इलाज करें। हम नीचे खांसी के कुछ प्रकार आपको बता रहे हैं।
खांसी के प्रकार – Types of Cough in Hindi
- तीव्र खांसी (Acute Cough) – यह खांसी अचानक शुरू होती है और तीन हफ़्ते से कम समय तक रहती है।
- पुरानी खांसी (Chronic Cough) – यह खांसी कई दिनों तक रहती है और कई बार आठ हफ़्ते से ज़्यादा समय तक रहती है। ऐसे में बिना देर करते हुए आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अपनी परेशानी बताएं।
- कुक्कुर खांसी (Pertussis) – यह खांसी संक्रमण से होती है, जो नाक और गले को प्रभावित करती है। यह खांसी ज़्यादातर बच्चों को होती है।
- बलगम वाली खांसी – इसमें खांसते समय बलगम निकलता है। इस तरह की खांसी में सीने में बलगम जमा हो जाता है, जिस कारण मरीज़ को सांस तक लेने में परेशानी होती है।
- सूखी खांसी (Dry Cough) – यह खांसी गले में ख़राश के साथ होती है। बार-बार लगेगा कि गले में कुछ फंसा है। इसमें खांसने से बलगम नहीं निकलता है, यह खांसी बदलते मौसम या धूल-मिट्टी व प्रदूषण के कारण हो सकती है।
- रात में खांसी (Nocturnal Cough) – यह खांसी ज़्यादातर रात को होती है। यह कभी-कभी इतनी तीव्र हो जाती है कि मरीज़ को नींद भी नहीं आती है।
फालिज ,लक़्वा गठिया तथा क़फ खांसी।
कुर्स इकसीर
फालिज व लकवा फालिज व लक़्वा में लाभदायक है।
सेव्य मात्रा एक टिकिया
सेवन विधि प्रातःव सायं काल दोनों समय 10 ग्राम मधु में मिलाकर खाएं।
कुश्ता हड़ताल वर्की
फालिज व लक़्वा पक्षाघात गठिया कफ़ खांसी और दमा में लाभदायक है।
सेव्य मात्रा-एस मिलीग्राम या एक टिकिया
सेवन विधि यह कुश्ता शुद्ध मधु 10 ग्राम में या मक्खन या मलाई में मिलाकर खाएं।
दावाउल मिस्क हार सादा
-फालिज व लकवा, कपकपी आदि पट्टों तथा कफ के रोगों में लाभ देती है।
सेव्य मात्रा-5 ग्राम
सेवन विधि
यह औषधि प्रातः काल अर्क गावज़बां 125 मिलीलीटर या चिकित्सक के परामर्श के अनुसार खाएं।
माजून अजाराकी-
यह माजून फालिज व लकवा कपकपी गठिया और अन्य जोड़ों के दर्द तथा कफ रोगों में लाभदायक है। पट्टों को शक्ति देने के लिए यह बहुत अच्छी औषधि है। शीतकाल में बूढ़े व्यक्तियों को इसका प्रयोग शीत की हानि से बचाता है।
सेव्य मात्रा-3 ग्राम
सेवन विधि यह माजून खाना खाने के पश्चात दोनों समय खाएं।
माजून जोगराज गूगल-
फालिज लकवा कपकपी अमावात आदि पुट्टों के रोगों में लाभदायक है।
सेव्य मात्रा-5 ग्राम
सेवन विधि रात को सोते समय यह माजून खाकर ऊपर से 250 मिली लीटर दूध पी ले।
माजून तीर अल्वी खानी
फालिज व लक़्वा गठिया वात रक्त गिध्रसी (sciatica) आदि पट्टों वह क़फ रोगों में लाभदायक है।
सेव्य मात्रा-5 ग्राम
सेवन विधि प्रातकाल या रात को सोते समय पानी से खाएं।
रोग़न सुर्ख
फालिज, गठिया वात लक़्वा गृध्रसी वात रक्त तथा कमर के दर्द के लिए लाभदायक है चोट का दर्द भी इसके प्रयोग से दूर हो जाता है।
प्रयोग विधि गुनगुना गर्म तेल की मालिश करके ऊपर से रुई गर्म करके बांधे।
रोग़न सीर
फालिज व लक़्वा गठिया और कमर के दर्द में लाभदायक है।
प्रयोग विधि
गुनगुना गर्म तेल मालिश करके ऊपर से रुई गर्म करके बातें।
रोगन कुस्त
फालिज व लकवा ऐंठन और गठिया में लाभदायक है।
प्रयोग विधि-गुनगुना गरममालिश करके ऊपर से रुई गर्म करके बांधे।
रोगन लोबान-
फालिज व लक़्वा घटिया और कमर के दर्द में लाभदायक है।
प्रयोग विधि गुनगुना गर्म मालिश कर ऊपर से रई गर्म करके बांधे।
हब्बे अजाराकी
(कुचले की गोलियां) पुट्टों को शक्ति देती है। फालिज व लक़्वा तथा गठिया आदि रोगों में लाभदायक है।
सेव्य मात्रा -एक गोली
सेवन विधि -खाना खाने के पश्चात दोनों समय खाएं।https://gharelunushkea.blogspot.com/2019/12/blog-post_8.html
Comments
Post a Comment
If you have any doubt's, please let me know