ग्रीन-टी के 20 फायदे, उपयोग और नुकसान – Green Tea Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
जब बात आए फिटनेस और स्वास्थ्य की, तो ग्रीन-टी का नाम लगभग हर किसी की जुबान पर आता है। पूरी दुनिया ग्रीन-टी को अपना रही है, क्योंकि इससे होने वाले फायदे कुछ कम नहीं हैं। ग्रीन टी न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में सक्षम है, बल्कि कुछ बीमारियों से उबरने में मदद कर सकती है। इन तमाम खूबियों के बावजूद इसे मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प समझना उचित नहीं होगा। इस लेख के जरिए हम ग्रीन-टी क्या है, ग्रीन-टी के फायदे और ग्रीन-टी बनाने की विधि और पीने के सही समय के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। अब देर किस बात की, ग्रीन-टी पीने के फायदे जानने के लिए तैयार हो जाएं।
विषय सूची
ग्रीन-टी क्या है?
ग्रीन-टी के पौष्टिक तत्व – Nutritional Value of Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी के फायदे – Benefits of Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी के प्रकार – Types of Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी बनाने की विधि – How to Prepare Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी पीने का सही समय – When to Drink Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी के नुकसान – Side Effects of Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी क्या है?
इससे पहले कि हम ग्रीन-टी के फायदों के बारे में जानकारी दें। हम अपने पाठकों को ‘ग्रीन टी क्या है’ उस बारे में बता देते हैं। ग्रीन टी कैमेलिया साइनेन्सिस पौधे से बनाया जाता है। इस पौधे की पत्तियों का उपयोग न सिर्फ ग्रीन टी बल्कि अन्य प्रकार की चाय जैसे – ब्लैक टी बनाने में भी किया जाता है, लेकिन मानव स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रीन टी का देखा गया है। अगर बात करें ग्रीन टी और ब्लैक टी की, तो भले ही ये एक ही पौधे से मिलते हों, लेकिन, दोनों को बनाने का तरीका अलग है। ग्रीन टी का उत्पादन करने के लिए ताजे पत्तों को तोड़ने के बाद तुरंत भाप दी जाती है, ताकि ग्रीन टी का अच्छे से निर्माण हो। यह प्रक्रिया स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले प्राकृतिक पॉलीफेनोल्स को संरक्षित रखती हैं (1)। वहीं, अगर बात करें पोषक तत्वों की, तो ये ग्रीन टी और ब्लैक टी में लगभग समान होते हैं, लेकिन ग्रीन टी में ब्लैक टी की तुलना में पॉलीफेनोल्स की मात्रा अधिक होती है। यही पॉलीफेनोल्स जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी हो सकते हैं (2)।
ग्रीन-टी के पौष्टिक तत्व – Nutritional Value of Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी पौष्टिक तत्वों का खजाना है। इसमें कई ऐसे पौष्टिक तत्व हैं, जिनके बारे में आपको शायद ही पता होगा। बिना चीनी के ग्रीन-टी में बिल्कुल कैलोरी नहीं होती है। ग्रीन-टी में फ्लेवेनॉल और कैटेकिन मौजूद होता है, जो एक तरह का पॉलीफेनोल (पोषक तत्व) होता है, इसके कई फायदे हैं।इनके अलावा, ग्रीन-टी में सबसे शक्तिशाली यौगिक ईजीसीजी (EGCG) मौजूद है, जिसे एपीगैलोकैटेकिन-3-गैलेट (epigallocatechin-3-gallate) के नाम से भी जाना जाता है। इसके कई लाभ है और उनमें से एक है शरीर में मेटाबॉलिक दर का बढ़ना और वजन नियंत्रित रहना।
अन्य महत्वपूर्ण यौगिक जो ग्रीन-टी में शामिल हैं, वो कुछ इस प्रकार हैं:
एमिनो एसिड व एंजाइम
कार्बोहाइड्रेट
मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, लौह, क्रोमियम, तांबा व जिंक जैसे खनिजों की मात्रा
विटामिन-बी 6
विटामिन-सी
प्रोटीन
थियनाइन
एमिनो एसिड
ग्रीन-टी के बारे में इतनी जानकारी के बाद अब समय है ग्रीन-टी के फायदे जानने का।
ग्रीन-टी के फायदे – Benefits of Green Tea in Hindi
यहां हम सेहत, बालों व त्वचा से जुड़े ग्रीन-टी के ऐसे फायदे आपको बता रहे हैं, जिनके बारे में आपको शायद ही पता हो।सेहत के लिए ग्रीन-टी के फायदे – Health Benefits of Green Tea in Hindi
जब भी ग्रीन-टी का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले फिटनेस की बात आती है, लेकिन ग्रीन-टी के इसके अलावा भी कई फायदे हैं। ग्रीन-टी में मौजूद पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। सेहत से जुड़े ग्रीन-टी के फायदों की लिस्ट हम आपको नीचे बता रहे हैं।1. वजन कम करने के लिए ग्रीन-टी मददगार है
ग्रीन-टी वजन कम करने में फायदेमंद हो सकती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, मेटाबॉलिज्म को बढाकर वजन कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद सक्रिय यौगिक, फैट बर्निंग हॉर्मोन को प्रभावित करते हैं। यहां तक कि व्यायाम के दौरान भी ग्रीन-टी फैट को कम करता है। यूके में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि ग्रीन-टी पीने और मध्यम तीव्रता के व्यायाम करने से फैट ऑक्सीडेशन बढ़ता है, जिससे मोटापे से बचा जा सकता है। वहीं, इंसुलिन संवेदनशीलता में भी सुधार लाता है (3)। ग्रीन-टी में मौजूद ईजीसीजी (EGCG) जादू का काम करता है। ग्रीन-टी से मेटाबॉलिक रेट दर बढ़ सकता है और हर समय थोड़ी-थोड़ी कैलोरी कम होती है। यहां तक कि सोते समय भी ऐसा होता है (4)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि वजन घटाने के मामले में ग्रीन-टी पीने के साथ-साथ अपनी डाइट पर ध्यान देना भी जरूरी है। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम व योग करना भी जरूरी है।2. मुंह के लिए ग्रीन-टी
अध्ययनों के अनुसार, जो लोग हरी चाय यानी ग्रीन-टी का सेवन करते हैं, उनके मुंह में किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होता। एक भारतीय अध्ययन में बताया गया है कि किस प्रकार ग्रीन-टी, पेरियोडोंटल (एक प्रकार की मंसूड़ों की बीमारी) से बचाने में मदद करती है (5)। ग्रीन-टी, बैक्टीरियल प्लाक (दांतों की मैल) को नियंत्रित कर दांतों को खराब होने से भी बचाती है। ग्रीन-टी में मौजूद पॉलीफेनोल्स, ग्लोक्सीलट्रांसफरेस (एक तरह का बैक्टीरिया, जो चीनी खाने से मुंह में पैदा होता है) का अंत करके प्लाक से लड़ता है (6)।हरी चाय में फ्लोराइड भी होता है, जो दांतों को खराब होने से बचाता है। यह चाय स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स (Streptococcus mutans) नामक बैक्टीरिया से भी लड़ती है, जो आमतौर पर दांतों में पाए जाते हैं।
3. डायबिटीज के लिए ग्रीन-टी
ग्रीन-टी शरीर की कोशिकाओं को संवेदनशील कर सकती है, ताकि वो चीनी को अच्छे से हजम कर सकें और मधुमेह के प्रभाव को कम कर सकें। इस तरह से कह सकते हैं कि ग्रीन-टी से डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स (polyphenols) शरीर में ग्लूकोज के स्तर को संतुलित करते हैं।एक अध्ययन के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पूरे दिन में छह या उससे अधिक कप ग्रीन-टी का सेवन करे, तो टाइप-2 डायबिटीज का खतार कुछ प्रतिशत तक कम हो सकता है (7)। हालांकि, इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है, क्योंकि एक दिन में 6 कप ग्रीन-टी पीना स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।
ग्रीन-टी, एंजाइम गतिविधि को रोकता है, जिससे रक्त प्रवाह में अवशोषित चीनी की मात्रा कम हो जाती है (8)। ग्रीन-टी खासकर के टाइप-2 डायबिटीज में ज्दाया फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद हैं (9) (10)।
4. कोलेस्ट्रॉल के लिए ग्रीन-टी
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीन-टी दिल की बीमारी से रक्षा कर सकता है। ग्रीन-टी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल, जिससे ह्रदय रोग होने की आशंका बढ़ती है, उसके स्तर को कम कर सकती है। अधिकांश अध्ययन ग्रीन-टी कैप्सूल के उपयोग पर किए गए हैं, लेकिन चाय भी यह काम बखूबी कर सकती है (11)।5. रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ावा
ग्रीन-टी में मौजूद कैटेकिन (catechins) रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है (12)। चाय इम्युनिटी को बढ़ाकर ऑक्सीडेंट्स के खिलाफ सुरक्षा करती है। ग्रीन-टी में ईजीसीजी रेगुलेटरी मौजूद होता है, जो टी सेल्स को बढ़ाता है और आपके इम्यून फंक्शन को नियंत्रित कर ऑटोम्यून्यून रोगों को बढ़ने से रोकता है (13)।6. पाचन के लिए ग्रीन-टी
ग्रीन-टी में एंटी-ऑक्सीडेंट होता है (14), जो पाचन क्रिया को सुधरता है। ग्रीन-टी में मौजूद कैटेकिन पाचन एंजाइम की क्रिया को धीमा करता है। इसका मतलब है कि आंत सारे कैलोरी को अवशोषित नहीं करती, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। ग्रीन-टी में ईजीसीजी (EGCG) होता है, जो कोलाइटिस के लक्षणों में सुधार करता है। कोलाइटिस एक प्रकार की सूजन होती है, जिससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है। ग्रीन-टी में विटामिन-बी, सी और ई भी होता है, जो पाचन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ग्रीन-टी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (gastrointestinal cancers) से बचाने में भी मदद कर सकती है (15)।7. कैंसर से बचाती है ग्रीन-टी
नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के मुताबिक, पॉलीफेनोल (विशेष रूप से कैटेकिन) चाय के एंटी-कैंसर गुणों के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से सबसे भरोसेमंद ईजीसीजी (epigallocatechin-3-gallate) है। यह, अन्य पॉलीफेनोल के साथ मिलकर मुक्त कणों से लड़ता है और कोशिकाओं को डीएनए क्षति से बचाता है। ग्रीन-टी में मौजूद पॉलीफेनोल (polyphenols) इम्यून सिस्टम की प्रक्रिया को भी ठीक करता है (16)।एक और अध्ययन के अनुसार, ग्रीन-टी कुछ खास प्रकार के कैंसर (फेफड़े, त्वचा, स्तन, लिवर, पेट और आंत) से हमारी रक्षा करती है। ग्रीन-टी के घटक कैंसर कोशिका के प्रसार को रोकते हैं (17) (18)। ईजीसीजी स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बगैर कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकता है (19)। यह कैंसर के इलाज में मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि स्वस्थ कोशिकाओं का खत्म होना कैंसर के इलाज में रुकावट साबित हो सकता है। कुछ शोध के अनुसार, कैंसर के इलाज के समय एक दिन में चार कप ग्रीन-टी पीना लाभकारी साबित हो सकता है, लेकिन ऐसा करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। साथ ही ध्यान रहे कि कैंसर घातक बीमारी है और इसके इलाज के लिए सिर्फ घरेलू उपचार पर निर्भर सही नहीं है। इसके लिए उचित मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है।
8. ब्लड प्रेशर के लिए ग्रीन-टी
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से खून में फैट बढ़ता है, जिससे धमनियों में सूजन आ जाती है और यह उच्च रक्तचाप का कारण बनता है (20)। वहीं, ग्रीन-टी पीने से इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण सूजन को कम करके रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकते हैं (21) (22)। यहां तक कि ग्रीन-टी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकती है, जिससे ह्रदय संबंधी परेशानियां कम हो सकती हैं (23)। ग्रीन-टी के नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रह सकता है। इसके अलावा, कम रक्तचाप के मरीजों में कोरोनरी हृदय रोग और दिल के दौरे का खतरा कुछ प्रतिशत तक कम हो सकता है।रक्तचाप आमतौर पर एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंग एंजाइम (ACE – यह किडनी से निकलता है) के कारण होता है। ज्यादातर ब्लड प्रेशर की दवाइयां एसीई अवरोधक के रूप में काम करती हैं, लेकिन ग्रीन-टी प्राकृतिक एसीई अवरोधक है। यह एंजाइम की क्रिया को रोकता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है (24)।
9. गठिया के लिए ग्रीन-टी
ग्रीन-टी में ईजीसीजी के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ये शरीर में छोटे-छोटे मॉलिक्यूल (molecules) के उत्पादन को सीमित करते हैं, जो सूजन और गठिया दर्द का कारण बनते हैं। ग्रीन-टी हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार लाता है और ऑस्टियोअर्थइराइटिस (Osteoarthritis) जैसी समस्या में कुछ राहत दिला सकता है (25)। ग्रीन टी में मौजूद ईजीसीजी अर्थराइटिस पर प्रभावी हो सकता है। ग्रीन-टी में मौजूद ईजीसीजी, रूमेटाइड गठिया (rheumatoid arthritis) में सूजन को कुछ कम करके राहत दिला सकता है (26)। वहीं, अगर गठिया की समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर से चेकअप करवाना भी जरूरी है।10. दिल के लिए ग्रीन-टी
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन-टी दिल के लिए फायदेमंद होती है। इसका सेवन करने से दिल की बीमारियों से भी बचा जा सकता है (27)। इसके अनुसार, ग्रीन-टी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल, जिससे ह्रदय रोग का खतरा रहता है, उसके स्तर को कम कर सकती है। ग्रीन-टी, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (cardiovascular disease) के प्रमुख कारण एथरोस्क्लेरोसिस को रोकने में मदद कर सकती है (28)। अन्य अध्ययन से यह भी पता चला है कि ग्रीन-टी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को नुकसान पहुंचाए बिना खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकती है।11. तनाव में ग्रीन-टी
चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ग्रीन-टी में मौजूद पॉलीफेनोल्स तत्व एंटीडिप्रेसंट का प्रभाव पैदा करते हैं (29)। ग्रीन-टी में मौजूद कैफीन (caffeine) भी तनाव के इलाज में अहम भूमिका निभा सकता है। एक दिन में तीन से चार कप ग्रीन-टी का सेवन तनाव को कम कर सकता है। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत है।12. मानसिक स्वास्थ्य के लिए ग्रीन-टी
ग्रीन-टी मानसिक स्वास्थ को भी कुछ हद तक बेहतर कर सकती है। हालांकि, ग्रीन-टी में कैफीन होता है, लेकिन कॉफी के मुकाबले इसमें मात्रा कम होती है। कैफीन मस्तिष्क के लिए अवरोधक न्यूरोट्रांसमीटर की गतिविधि को रोकता है। नतीजन, यह न्यूरॉन्स में सुधार कर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है (30)। इससे याददाश्त तेज होती है और ब्रेन फंक्शन भी अच्छा होता है (31)। ग्रीन-टी में एमिनो एसिड भी होता है, जो गाबा (एक अन्य अवरोधक न्यूरोट्रांसमीटर, जो हानिकारक नहीं है) की गतिविधि को बढ़ाता है। गाबा के स्तर में सुधार होने से तनाव व चिंता को कम करने में मदद मिल सकती है। कैफीन और एल-थेनाइन इन दोनों का मेल मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए प्रभावशाली है (32)।13. लंबी उम्र के लिए ग्रीन-टी
जैसा कि आप जान चुके हैं कि ग्रीन-टी के फायदे अनेक हैं, लंबी उम्र भी उन्हीं फायदों में से एक है। ग्रीन-टी इम्युनिटी को बढ़ाकर कई बीमारियोंं से बचाती है। इससे अधिक उम्र तक जीने में मदद मिल सकती है। वहीं, इस विषय पर अभी कई उलझन हैं, क्योंकि एक अन्य अमेरिकी अध्ययन के मुताबिक, ग्रीन-टी उम्र को बढ़ा तो सकती है, लेकिन इस मामले में कैल्शियम पूरक भी महत्वपूर्ण है, जबकि ग्रीन-टी में कैफीन होता है और कैफीन का सेवन कैल्शियम को हानि पहुंचा सकता है (33)। वहीं, एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, ग्रीन-टी पीने वालों में ग्रीन-टी नहीं पीने वालों के मुकाबले कम निर्बलता दिखाई दी है। इसके अलावा, जो लोग ग्रीन-टी पीते हैं, उनमें फंक्शनल डिसेबिलिटी कम होती है (34)। इस आधार पर फिलहाल स्पष्ट तौर पर यह कहना मुश्किल है कि ग्रीन-टी उम्र बढ़ाने में सहायक है या नहीं, क्योंकि इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों तरह की बातें मौजूद हैं।14. अल्जाइमर के जोखिम को कम करती है ग्रीन-टी
ग्रीन-टी के सेवन से कई मानसिक बीमारियों का जोखिम भी कम होता है। अल्जाइमर और पार्किंसंस उन्हीं कुछ बीमारियों में से एक है। उम्र के साथ होने वाली मानसिक बीमारी अल्जाइमर आम होती जा रही है। इसमें दिन-प्रतिदिन व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने लगती है और निर्णय लेने की क्षमता कम होने लगती है। वहीं, पार्किसन में मनुष्य के हाथ-पांव कांपने लगते हैं। ये दोनों बीमारियां उम्र बढ़ने पर होती हैं, लेकिन कभी-कभी यह छोटी उम्र में भी होती हैं और उम्र के साथ-साथ बढ़ती चली जाती है। ऐसे में ग्रीन-टी का सेवन इन दोनों बीमारी के खतरे को कम कर सकता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि ग्रीन-टी में मौजूद कैटेकिन इन दोनों बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है (35) (36) (37)।https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/15350981 https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/19040558https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/26092629
आइए, अब यह जान लेते हैं कि त्वचा के लिए ग्रीन टी किस प्रकार फायदेमंद है।
त्वचा के लिए ग्रीन-टी के फायदे – Skin Benefits of Green Tea in Hindi
स्वास्थ्य के लिए ग्रीन-टी के फायदे, तो आप जान ही गए हैं, अब हम बता रहे हैं कि यह त्वचा के लिए किस तरह से लाभप्रद है। खूबसूरत और बेदाग त्वचा के लिए इन घरेलू उपचारों पर ध्यान दें।1. त्वचा को मॉइश्चराइज करने के लिए ग्रीन-टी
बदलते मौसम के साथ त्वचा रूखी और बेजान होने लगती है। कई महिलाओं को बार-बार मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना पड़ता है, फिर भी रूखेपन से छुटकारा नहीं मिलता। ऐसे में ग्रीन-टी का इस्तेमाल करने से फर्क नजर आ सकता है। आप ग्रीन-टी को फेस पैक की तरह लगा सकते हैं। हम नीचे ग्रीन-टी के इस्तेमाल की विधि शेयर कर रहे हैं।सामग्री:
एक चम्मच ग्रीन-टी या एक ग्रीन-टी का बैग
दो चम्मच शहद
बनाने और लगाने की विधि:
सारी सामग्रियों को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें।
अब इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और ध्यान रहे कि यह आपके आंखों और मुंह के संपर्क में न आए।
फिर इसे 15 से 20 मिनट तक अपने चेहरे पर लगा रहने दें।
उसके बाद अपने चेहरे को ठंडे पानी से धो लें और साफ तौलिये से पोंछकर सामान्य क्रीम, जिसका आप इस्तेमाल करती हैं, लगा लें।
आप चाहें तो इसे हफ्ते में एक बार लगा सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
शहद में हल्की ब्लीचिंग के गुण होते हैं, जो त्वचा के दाग को कम कर सकते हैं। वहीं, ग्रीन-टी त्वचा के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव को बढ़ाती है। यह रूखी व बेजान त्वचा को नष्ट करती है।
2. मुंहासों के लिए ग्रीन-टी
मुंहासों की समस्या कभी भी और किसी को भी हो सकती है। मुंहासों के लिए लोग कई तरह की क्रीम का भी उपयोग करते हैं, लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे में ग्रीन-टी का उपयोग कुछ हद तक मुंहासों की समस्या को कम कर सकती है।सामग्री:
फेशिअल क्लीन्जर
ग्रीन-टी
स्प्रे बोतल
मॉइश्चराइजर
तौलिया
बनाने और लगाने की विधि:
आप ग्रीन-टी बना लें।
फिर इसे ठंडा करके स्प्रे बोतल में भर दें।
अब अपना चेहरा फेशिअल क्लीन्जर से धोकर तौलिये से सूखा लें।
अब अपने चेहरे पर स्प्रे बोतल की मदद से ग्रीन-टी को छिड़ककर सूखने दें।
फिर चेहरा ठंडे पानी से धोकर तौलिये से सूखा लें और मॉइश्चराइजर लगा लें।
आप इस स्प्रे को हर रोज दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन-टी में कैटेकिन होता है, जिसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करते हैं। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी भी होता है, जो मुंहासों के जलन को कम कर सकता है। इसके अलावा, ग्रीन-टी पीने से मुंहासों का कारण बनने वाले असंतुलित हार्मोन में भी सुधार आता है। यहां तक कि ग्रीन-टी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मुंहासों के दाग को भी कम करते हैं।
3. झुर्रियों के लिए ग्रीन-टी
आजकल ज्यादा मेकअप या तरह-तरह के क्रीम के इस्तेमाल से समय से पहले त्वचा पर झुर्रियां आने लगती है। इन झुर्रियों को कम करने के लिए भी लोग तरह-तरह की क्रीम का इस्तेमाल करने लगते हैं और नतीजा त्वचा चमक खोने लगती है। ऐसे में झुर्रियों को कम करने के लिए ग्रीन-टी पी सकते हैं या फिर यहां बताए गए ग्रीन-टी के फेसपैक का इस्तेमाल कर सकते हैं।सामग्री:
ग्रीन-टी बैग या ग्रीन-टी के पत्ते
शहद
बनाने की विधि:
आप ग्रीन-टी बैग या पत्तों को भिगोएं।
फिर इन पत्तों को शहद में मिलाकर एक पैक तैयार कर लें।
अब इस पैक को अपने चेहरे पर लगाकर थोड़ी देर सूखने दें।
सूखने के बाद इस पैक को ठंडे पानी से धो लें।
आप इस पैक को हफ्ते में एक बार लगा सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन-टी में मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण और शहद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण झुर्रियों को कुछ हद तक कम करते हैं। इसके अलावा, शहद में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण चेहरे को साफ करता है और चेहरे के टेक्सचर को सुधारता है।
4. सनबर्न या टैन निकालने के लिए ग्रीन-टी
चाहे कोई भी मौसम हो धूप आपकी त्वचा को कभी भी जला सकती है। कई बार सनबर्न या टैन के वजह से आपका लुक तक खराब लगने लगता है। ऐसे में ग्रीन-टी से आप सनबर्न और टैन को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आप यहां बताए गए नुस्खे को आजमा सकते हैं।सामग्री:
एक ग्रीन-टी बैग
एक कप गरम पानी
कॉटन बॉल
बनाने और लगाने की विधि:
थोड़ी ग्रीन-टी बनाएं।
अब इसे ठंडा करके कॉटन बॉल की मदद से अपने चेहरे पर लगाएं।
इसे 10 मिनट तक लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
आप इसे दिन में दो बार लगा सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन-टी त्वचा को ठंडक और आराम पहुंचाती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट तत्व टैन और दाग-धब्बों को मिटाते हैं (38)।
5. डार्क सर्कल के लिए ग्रीन-टी
रात को देर से सोना या नींद पूरी न होना या काम का तनाव वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन डार्क सर्कल की परेशानी किसी को भी हो सकती है। डार्क सर्कल एक ऐसी चीज है, जो पूरे चेहरे का लुक खराब कर देते हैं। डार्क सर्कल को कम करने के लिए भी ग्रीन-टी का सहारा लिया जा सकता है।ग्रीन-टी बैग डार्क सर्कल्स के लिए
सामग्री:
दो ग्रीन-टी बैग
बनाने और लगाने की विधि:
ग्रीन-टी के बैग को पानी में डुबाकर फ्रिज में थोड़े देर के लिए रख दें।
अब इस ठंडे ग्रीन-टी बैग को अपनी आंखों के नीचे 10 से 15 मिनट तक रखें
फिर अपना चेहरा पानी से धो लें।
कैसे फायदेमंद है?
डार्क सर्कल तब होते हैं, जब आंखों के नीचे रक्त वाहिकाएं फैल जाती है। ग्रीन-टी इसे कम करने में मदद करती है, क्योंकि इसमें टैनिन होते हैं, जो एस्ट्रिंजेंट (टिश्यू में कसाव लाने वाला गुण) प्रॉपर्टी होता है। वह फैले हुए रक्त वाहिकाओं और कोशिकाओं में कसाव लाता है, जिससे डार्क सर्कल्स कम होते हैं (39)। इस नुस्खे को आजमाने के बाद आंखों में ताजगी भी महसूस हो सकती है। इतना ही नहीं इसके प्रयोग से सूजी हुई आंखों की परेशानी भी कम होती है। ग्रीन-टी में मौजूद कैफीन रक्त वाहिकाओं को सिकोड़कर आंखों की सूजन को कम कर सकता है।
आप चाहें, तो डार्क सर्कल्स कम करने के लिए जूसी केमिस्ट्री कॉफी एंड ग्रीन-टी आई क्रीम (Juicy Chemistry Coffee And Green Tea Eye Cream) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
आगे हम बता रहे हैं कि स्वस्थ बालों के लिए ग्रीन टी का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
बालों के लिए ग्रीन-टी के फायदे – Hair Benefits of Green Tea in Hindi
जब बात आए स्वास्थ्य और त्वचा की, तो बाल कैसे पीछे रह सकते हैं। इसलिए, अब हम बालों के लिए ग्रीन-टी के फायदे बताएंगे (बेनिफिट्स ऑफ ग्रीन-टी फॉर हेयर)। आप घर पर आसानी से ग्रीन-टी से अपने बाल धो सकते हैं।
ग्रीन-टी की मदद से बालों को धोने के उपाय
तीन से चार ग्रीन-टी बैग को आधा लीटर पानी में भिगोएं। फिर जब आप शैम्पू और कंडीशनर कर लें, उसके बाद ग्रीन-टी के पानी से अपने बालों को धो लें।ग्रीन-टी डीएचटी (डायहाइड्रोटेस्टेरोन) की वृद्धि को रोकती है। डीएचटी बालों के विकास में बाधा डालती है और बाल के झड़ने का कारण बनती है। ग्रीन-टी के एंटीसेप्टिक गुणों के कारण, डैंड्रफ और सोरायसिस जैसी समस्याएं ठीक हो सकती हैं। ग्रीन-टी की वजह से बाल अच्छे से बढ़ते हैं और मुलायम बनते हैं। इसमें पॉलीफेनोल और विटामिन-ई व सी होता है, जिससे बालों में चमक बढ़ती है। इसके अलावा, ग्रीन-टी में कई और महत्वपूर्ण यौगिक जैसे – कैरोटेनोइड, टैकोफेरोल, जिंक, क्रोमियम, एस्कॉर्बिक एसिड, सेलेनियम और मैंगनीज मौजूद होते हैं (40)। क्रोमियम और मैंगनीज को छोड़कर, अन्य सभी यौगिक बालों के झड़ने से रोकने और बाल को फिर से उगने में प्रोत्साहित करने में मदद करते हैं।
अब जब आप ग्रीन-टी पीने के फायदे जान ही गए हैं, तो यह समय है ग्रीन-टी के प्रकार जानने का।
ग्रीन-टी के प्रकार – Types of Green Tea in Hindi
ग्रीन-टी का सेवन लगभग हर जगह के लोग करते हैं, इसलिए बाजार में कई तरह के ग्रीन-टी मिलती हैं। नीचे हम ग्रीन-टी के कुछ प्रकार आपको बता रहे हैं।जैस्मीन ग्रीन-टी
मोरक्को मिंट ग्रीन-टी
गेन माचा ग्रीन-टी
ड्रैगन वेल ग्रीन-टी
हौजीचा ग्रीन-टी
कुकीचा ग्रीन-टी
सेन्चा ग्रीन-टी
ग्योकुरो ग्रीन-टी
बिलौचन ग्रीन-टी
माचा ग्रीन-टी
अगर इन ग्रीन-टी के नाम पढ़कर दुविधा में हैं कि ये ग्रीन-टी कहां मिलेंगी, तो आप बिलकुल भी चिंता न करें। ये आपके नजदीकी सुपर मार्केट या फिर ऑनलाइन आसानी से मिल जाएंगी।
ग्रीन-टी बनाने की विधि – How to Prepare Green Tea in Hindi
अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि ग्रीन-टी कैसे बनाएं, तो इसका जवाब भी आपको इसी लेख में मिलेगा। यहां हम ग्रीन-टी बनाने की रेसिपी आपके साथ शेयर कर रहे हैं। ग्रीन-टी बनाना बहुत आसान है।1. पत्ते वाली ग्रीन-टी रेसिपी
सामग्री:एक चम्मच ग्रीन-टी के पत्ते
चाय की छन्नी
एक कप पानी
बनाने की विधि:
आप एक कप पर चाय की छन्नी रखें।
अब इस छन्नी में ग्रीन-टी के पत्ते डालें और उस पर गर्म पानी डालें।
फिर ग्रीन-टी के पत्तों को चम्मच की मदद से थोड़ा दबा दें।
ध्यान रहे कि पत्तों को ज्यादा न दबाएं, नहीं तो आपकी चाय कड़वी हो सकती है।
आप ग्रीन-टी में थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।
2. टी बैग वाली ग्रीन-टी रेसिपी
सामग्री:एक ग्रीन-टी बैग
एक कप गर्म पानी
बनाने की विधि:
एक कप गर्म पानी में एक ग्रीन-टी के बैग को थोड़ी देर भिगोएं।
इस दौरान आप कप को किसी चीज से ढक दें।
फिर थोड़ी देर बाद आप इसे निकाल लें।
स्वाद के लिए शहद मिलाना हो, तो मिला लें और इसका सेवन करें।
3. पाउडर वाली ग्रीन-टी रेसिपी
सामग्री:आधा या एक चम्मच ग्रीन-टी पाउडर
एक कप पानी
एक चम्मच शहद
बनाने की विधि:
एक बर्तन में पानी उबाल लें और कुछ सेकंड के लिए ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
अब इसमें आधा या एक चम्मच ग्रीन-टी पाउडर डालें।
थोड़ी देर इसे पानी में घुलने के लिए छोड़ दें।
जब पानी का रंग हल्का भूरा हो जाए, तो इसे चाय की छन्नी से छान लें।
आप स्वाद के लिए इसमें शहद मिला लें।
अब जब आपको पता चल गया है कि ग्रीन-टी कैसे बनाते हैं, तो हर रोज इसे अपने दिनचर्या में जरूर शामिल करें, लेकिन उससे पहले नीचे दिए गए ग्रीन-टी पीने का समय जरूर जान लें।
ग्रीन-टी पीने का सही समय – When to Drink Green Tea in Hindi
सिर्फ ग्रीन-टी को पीने से फायदा नहीं होता है। अगर आप इसे सही वक्त पर नहीं पिएंगे, तो आपको कुछ खास लाभ नहीं होगा। अगर आपको ग्रीन-टी के फायदे चाहिएं, तो ग्रीन-टी पीने का समय निर्धारित कर लें और नीचे लिखी बातों का ध्यान रखें।ग्रीन-टी को नाश्ते या दोपहर के खाने के बाद पिया जा सकता है।
बेहतर यही होगा कि ग्रीन-टी को कुछ भी खाने के तुरंत बाद न पिया जाए।
ग्रीन-टी को खाली पेट पीने से बचाना चाहिए।
देर रात को भी ग्रीन-टी पीने से बचना, क्योंकि इससे अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
ग्रीन-टी में दूध या चीनी न मिलाएं।
ग्रीन-टी के फायदे के साथ-साथ कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। आगे हम उसी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
ग्रीन-टी के नुकसान – Side Effects of Green Tea in Hindi
हर चीज के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। वैसे ही अगर ग्रीन-टी के फायदे हैं, तो उसके नुकसान भी हैं। नीचे हम ग्रीन-टी के साइड इफेक्ट्स आपको बता रहे हैं।पेट से संबंधित परेशानी जैसे – पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
अनिद्रा की परेशानी हो सकती है।
जी-मिचलाने की परेशानी हो सकती है।
शरीर में आयरन की कमी या एनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है।
उल्टी या डायरिया जैसी समस्या हो सकती है।
सिरदर्द की परेशानी हो सकती है।
ग्रीन-टी के लाभ जानने के बाद इसे पीने का मजा ही कुछ और होगा। अगर आपने अभी तक ग्रीन-टी पीना नहीं शुरू किया है, तो कोई बात नहीं, अब भी देर नहीं हुई, आज से ही इसका सेवन शुरू करें। साथ ही ध्यान रखें कि ग्रीन-टी आपको स्वस्थ तो रख सकती है, लेकिन पूरी तरह से डॉक्टरी इलाज का विकल्प साबित नहीं हो सकती। ग्रीन-टी पीने से आपको क्या-क्या फायदे हुए, उस बारे में हमें नीच दिए कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं। साथ ही सही समय पर साफ व पौष्टिक आहार का सेवन करें
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